ना मंदिर जाते हैं, ना मदीना जाता हैं |
हम वकील हैं, अदालत के सिवा कहींना जाते हैं |
ना पूजा करते हैं, ना अदा कोई नमाज़ करते हैं |
हम वकील है, खुदा के बन्दो की वकालत करते हैं |
ना गाने सुना करते हैं, ना गजले सुना करते हैं |
हम वकील हैं, लोगों की परेशानी सुना करते हैं |
अनजान लोगों के दुख़-दर्द कुछ ऐसे पहचान लेते है |
हम वकील हैं, काजग देखकर सब हाल जान लेते हैं |
ना गीता, ना बाइबिल, ना क़ुरान के लिए लड़ते है |
हम वकील है, दंड संहिता, व्यावहार संहिता पड़ते है |
ना डिस्को में जाते हैं हम, ना डेट पे जाते हैं,
हम वकील है, अक्रसर घर देर से जाते हैं |
खुद ही कहानी लिखते है ऑर खुद ही दायरेक्टर होते हैं |
हम वकील है, हमारे अपने परदे, अपने थिएटर होते है |
हसरतें हूबहू है, खुद नहीं, हम भी बनना इंसान भला चाहते है|
हम वकील हैं, चाहे कुछ भी अपने पक्षकार का भला चाहते हैं |
ना खाकी पे एतबार है, ना खधर पे इतना भरोसा करते है |
हम वकील हैं, लोग हम पे कितना भरोसा करते है |
इरक-महरूनी, सर्द-गुलाबी ऑर धानी हम पर सब रँग फब लेते है |
हम वकील हैं, काले कोट के नीचे, जीवन के सब रंग ढक लेते है |
हिंदू भी खड़ा रहता है, मुस्लिम भी खड़ा रहता है |
ये वकील का दिल है,
इंसानियत भीतर रहती है, मजहब बाहर खड़ा रहता हैं |